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Thursday, December 13, 2018

Wedding Vows - Poetry for my love!


सुगंधित पुष्प वर्षण
हे सुगंध! तुम दिव्य वस्त्रालंकृता ।
साथ देने को में तत्पर हूँ खड़ा ।।

हो कमल नयनी औ' कोमल सुरूपा ।
आओ तुम तो फैल जाती उषा पुंजित लालिमा ।।

कुलबुलाता हृदय यह जो तुमसे कहना चाह रहा ।
इस मुग्ध केशी स्पर्श से है अंजु को ठहरा रहा ।।

मग्न हो इसने दिया है सौंप खुदको बस तुम्हे ।
हो युक्त अनंतानंद से मेरी शिरायें चेतना ।।

दीप्त स्वाभिमान उठ उठकर बोलता है फिर यही ।
स्वार्थ मेरा हो तुम्ही उन्माद हो इस प्यार का ।।

असहिष्णुता उपेक्षा औ’ व्यंग्य-वचनावेग से ।
रह सकें हम सरल निर्मल ईश का वरदान लें ।।

इस विभा ऐश्वर्य को रख मैं सकूँ स्मृति में सदा ।
जो पास मेरे प्रियतमा तो कुछ नहीं फिर चाहना ।।

स्नेहित रखूँगा हर्ष और निनाद से मैं कह रहा ।
हो प्रेम का वर्धन हमेशा यह है मेरी कामना ।।

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