Wedding Vows - Poetry for my love!
सुगंधित पुष्प वर्षण
हे सुगंध! तुम दिव्य वस्त्रालंकृता ।
साथ देने को में तत्पर हूँ खड़ा ।।
हो
कमल नयनी औ' कोमल सुरूपा ।
आओ तुम तो फैल जाती उषा पुंजित लालिमा ।।
कुलबुलाता
हृदय यह जो तुमसे कहना चाह रहा ।
इस मुग्ध केशी स्पर्श से है अंजु को ठहरा रहा ।।
मग्न
हो इसने दिया है सौंप खुदको बस तुम्हे ।
हो युक्त अनंतानंद से मेरी शिरायें चेतना ।।
दीप्त
स्वाभिमान उठ उठकर बोलता है फिर यही ।
स्वार्थ मेरा हो तुम्ही उन्माद हो इस प्यार का ।।
असहिष्णुता
उपेक्षा औ’ व्यंग्य-वचनावेग से ।
रह सकें हम सरल निर्मल ईश का वरदान लें ।।
इस
विभा ऐश्वर्य को रख मैं सकूँ स्मृति में सदा ।
जो पास मेरे प्रियतमा तो कुछ नहीं फिर चाहना ।।
स्नेहित
रखूँगा हर्ष और निनाद से मैं कह रहा ।
हो प्रेम का वर्धन हमेशा यह है मेरी कामना ।।
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